आजकल ससुराल पक्ष से अपने किसी भी कारण होने वाले मतभेदों को लिया- दिया जाने वाला धन या सामान की आड़ में दहेज़ प्रताड़ना का रूप देकर परेशान करने जैसी घटनाएँ ही ज्यादा देखने में आ रही हैं . (विश्वास कीजिये , यह एक बहुत बड़ा सच है ) , इसलिए दहेज़ प्रथा बंद हो जाए तो आपसी मतभेदों का एक कारण समाप्त किया जा सकता है मगर यह सीधे लड़कियों की घटती संख्या के लिए जिम्मेदार नहीं है . यदि दहेज़ ही एकमात्र कारण होता तो संपन्न मध्यमवर्गीय परिवारों में बेटियों को जन्म ना लेने देने जैसी घटनाएँ नहीं होती !
मध्यम वर्ग में लड़कियों के लिए दोहरे मानदंड हैं . असुरक्षित समाज में बेटियों को आत्मनिर्भर बनाना समय की मांग है , बढ़ते प्रतिस्पर्धी माहौल में जहाँ उन्हें आगे भी बढ़ना है , आत्मनिर्भर भी होना है , वहां उनके सहज व्यवहार को भी बारीकी से परखा जाता है, चरित्र का निर्धारण किया जाता है , इसके अतिरिक्त महिलाओ के प्रति बढती अपराधिक घटनाएँ भी एक प्रमुख कारण है !
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