बड़ा ब्लॉगर कौन , वह जो टंकी पर चढ़ता हो या जिसके कमेन्ट प्रकाशित नहीं किये जा सके , या डिलीट करने पड़े ...
इधर हमारे भी एक दो कमेन्ट प्रकाशित नहीं किये गये तो हम भी भ्रम में रहे कि शायद बड़े ब्लॉगर बनने की पंक्ति में खड़े हैं , इसलिए सावधानी रखते हुए अपने कमेन्ट का लेखा जोखा रखते हुए एक ब्लॉग ही बना लेने की पहल की है . खुदा न खस्ता किसी दिन बड़े ब्लॉगर बन गये तो काम आयेंगे ..
अपना आशीर्वाद दीजियेगा !
1.जी हाँ , एक महिला को तब भी दुखी होना चाहिए जब उसे बंदरिया बना कर नचाया गया हो , वो भी एक दूसरी महिला के ब्लॉग पर ही ! http://mypoeticresponse.blogspot.com/2011/06/blog-post_23.html
मुझे जो कहना था दिव्या को मैं मेल में कह चूकी हूँ , उसकी पोस्ट पब्लिश होते ही !
(मेरा यह कमेन्ट भी बहुत सिफ्रारिश के बाद पब्लिश किया गया)
2.
रचना said...वाणी
आप जिस दिन ये पोस्ट आयी थी उस दिन भी मुझे कह्चुकी हैं की एक पुरुष ब्लोग्गर ने आप को कहा की ये पोस्ट आप के ऊपर हैं
फिर आज भी आप ये बात दुहरा चुकी हने
आप मुझ पर ये भी संदेह कर चुकी हैं की मै और दिव्या एक ही हैं और पूछ भी चुकी हैं
अब इसके बाद कुछ और कहने को रह ही क्या जाता हैं
3. वाणी गीत said...@ जी हाँ , रचना जी , मुझे आभास हुआ था कि कहीं आप दिव्या के नाम से ही तो नहीं लिखती हैं , ये मुझे किसी ने बताया नहीं था , पोस्ट लिखने के अंदाज से मुझे ऐसा महसूस हुआ , और मैंने आपसे पूछा , आपने बता दिया तो बात साफ़ हो गयी ...और बात वहीं ख़त्म हो गयी!
@ मुझे किसी पुरुष ब्लॉगर ने ये नहीं कहा कि ये पोस्ट मुझ पर लिखी गयी है , मुझे सिर्फ इसका लिंक दिया गया था !
मेरा कमेन्ट लिखने का आशय यह है कि आहत करने वाली बात आहत ही करती है , वो चाहे पुरुष/महिला द्वारा पुरुष /महिला के लिए लिखी गयी हो !
4. रचना said...आपने बता दिया तो बात साफ़ हो गयी
to phir aap ke pehlae kament kaa kyaa auchitya haen tab bhi aap mujh sae puchh chuki thee
baat tab bhi usii din saaf ho gyaee thee
aur aap chaet par aaj bhi puchh chuki haen
rahii baat aahat honae ki
to baebaat aahat hona agar aap ko ruchtaa haen to yae aap kaa adhikaar haen mujhae koi aaptti nahin haen
maene yae patr divya kae liyaa likha haen
uttar wo daegi nahin daegi yae uski marzi haen
5. ZEAL said....
रचना दीदी ,
पत्र का जवाब शीघ्र दूँगी । तबियत बहुत खराब है। थोडा संभलने दीजिये।
वाणी दीदी,
आपके मन में ये संशय भी आया की रचना और दिव्या एक हैं, तो सचमुच मैं धन्य हुयी। एक बात सच कह दूं तो....मैं तो रचना दीदी के पैर की धूल भी नहीं। इतना साहस विरले ही किसी स्त्री के पास होता है । काश मैं उनके जैसी बन सकती।
एक बात और --आपने अपनी टिप्पणी मेल से क्यूँ लिखी थी ? जब सब कुछ सार्वजनिक और पारदर्शी है तो पब्लिक में लिखने से डर किस बात का था ? लेकिन आपकी विवशता समझ सकती हूँ। आपने मेल से क्यूँ लिखा उसका कारण जानती हूँ और आपके निर्णय का सम्मान करती हूँ।
..............................................................
मेरा कमेन्ट जो पब्लिश नहीं किया गया कुछ और शब्द बाद में जोड़े ....
पब्लिकली नहीं लिखने का कोई डर या कारण नहीं है ...मगर बार बार ब्लॉगिंग छोड़ जाने की बात कहना , वो भी मनोविज्ञान की जानकार से, मुझे अच्छा नहीं लगता . मैं किसी से ब्लॉगिंग छोड़ जाने की अपील नहीं करती , जिसको नहीं रुचता है , छोड़ दे, मगर किसी कि पोस्ट को आधार बना कर नहीं ...ऐसे थोड़े ना चलता है कि हम किसी को कुछ भी कह दें , किसी पर कैसा भी व्यंग्य करें और जब हमारी बारी आये तो सौ तोहमतें लगा दें कि आपके कारण हम छोड़ कर जा रहे हैं / यहाँ बड़ों का सम्मान नहीं किया जाता./गाली गलौज शुरू कर दी जाए ...आदि आदि ...व्यंग्य या हंसी मजाक करने के आदि हैं तो उन्हें झेलने का माद्दा भी रखना चाहिए ! मेरे विचार स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान ही होते हैं , सही मायनो में बिना जेंडर बायस्ड हुए!
मेरा मेल करने का कारण था कि आपने एक बार अस्वस्थ रहने की बात की थी ...और दो दिन तक आपने मेल का कोई जवाब नहीं दिया , और आज रचनाजी के बुलाते ही आप स्वस्थ हो गयी ! मैं फिर से कह रही हूँ कि आपके ब्लॉगिंग छोड़ जाने के कारण नहीं , आपकी अस्वस्थता से परेशान हुई हूँ मैं , क्योंकि इतनी इंसानियत मुझमे हमेशा रही है ...मैं दूसरों की बीमारी का जश्न नहीं मनाती !
नए ब्लॉग के हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंबात साफ़ हो पारदर्शिता लिए हो ..
जवाब देंहटाएंआज पूरे विश्व में यही मुहिम है
हम इससे इतर बर्ताव करते हैं
तो समय हमको परे धकेल चलता बनेगा
इस ब्लॉग के लिए मेरी शुभकामनाएं !
बड़ा तो वास्तव में सत्य होता है।
जवाब देंहटाएंबड़ा ब्लॉगर वह है जो मन वचन और कर्म से सत्य का पालन करता है।
ब्लॉगिंग का मकसद भी सत्य की साक्षी देना ही होना चाहिए।
परमेश्वर साक्षी है, ऐसा मानकर जो ब्लॉगिंग की जाती है, नर-नारी और जग के लिए कल्याण लाती है, ब्लॉगर को सिद्ध बनाती है।
आपने अच्छा किया कि एक ब्लॉग अपने कमेंट्स के लिए बना लिया।
पोस्ट की तरह कमेंट्स में भी हमारे विचार ही होते हैं, इन्हें भी ध्यान से सहेजकर रखने की जरूरत है।
इस काम के लिए हमने भी एक ब्लॉग बना रखा है.
http://commentsgarden.blogspot.com/
शुभकामनाएं एवं बधाईयाँ .
इस नए ब्लॉग के शुभारम्भ पर हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई!
जवाब देंहटाएंआवश्यक नहीं कि हम हर बात का जवाब दें ही ....
जवाब देंहटाएंमुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है, इसलिए क्या लिखूं? आपने एक नया ब्लाग बनाया है, बस सबका इससे भला हो,
जवाब देंहटाएंयही कामना है।
कई बार कुछ ना कहने का अपना आनंद होता है ! फिर हमें अपना संसार गढ़ने / बदलने / बदलते रहने का हक़ तो सर्वदा है ही ! एक अच्छा विचार स्त्री पुरुष नहीं होता और ना ही हिंदू मुसलमान...और जड़ भरत भी नहीं सो उसकी सेहत का ख्याल रखें ! ताज़ा हवाएं खुली खिड़कियों से ही अंदर आती हैं !
जवाब देंहटाएंआपका शुभ हो , कल्याण हो !
congrats for this new blog
जवाब देंहटाएंi hope u put more comments here
best of luck
aur haan kaments apnae jarur sahejnae chahiyae mae to bahut pehlae sae kartee hun
जवाब देंहटाएंब्लॉग-जगत की सबसे शर्मसार स्थिति है यह ! जब किसी ब्लॉगर को जमकर गरियाया जाए या टीपों को या तंज़ को न समझकर उनको सूँघा और छाना जाए और इस सबके खिलाफ यदि विचार दिए जाएँ तो उन टी पों को प्रकाशित न किया जाये,कोई अपने ब्लॉग पर भावनाएं व्यक्त करे तो कई ब्लॉगर को 'माई-बाप' बनाकर टंकी या मचान पर चढ़कर नौटंकी की जाये तो ऐसे में भी हम चुप रहें तो क्या ख़ाक लिखने का अधिकार है हमें ? और हाँ,हँसी आती है उन पर भी जो इन अनर्थकारी और मसखरी करने वाली ब्लॉगर के सम्मिलन पर दी गई बकबक को प्यारी और आवश्यक बात बतायी जाती है !
जवाब देंहटाएंयह आपने अच्छा किया पर एक सुझाव है कि जिस किसी की टीप कहीं प्रकाशित न की जाए उसे सन्दर्भ देकर आप इस ब्लॉग पर छापें !
अभी भी क्या कुछ मठाधीशों को तमाचा नहीं लगेगा ? वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधर भी नहीं हैं क्या ?
हम्म .. यह एक नयी विधा का ब्लॉग है ..इतनी भी पारदर्शिता आवश्यक नहीं कि सभी कुछ पारदर्शी हो जाये :):)
जवाब देंहटाएंनए ब्लॉग की शुभकामनायें
इस नए ब्लॉग के लिए हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई !!!
जवाब देंहटाएंइस नए ब्लॉग के शुभारम्भ पर हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई!
जवाब देंहटाएंशोभनम्!
जवाब देंहटाएंदोहरा लाभ है इसका!
चीजें एक जगह महफूज भी रहेंगी, और किन्हीं उपदेशियों की असहिष्णुता का लेखा-जोखा भी रहेगा।
नए ब्लोग की शुभकामनाएँ!!
@ संतोष जी ,
जवाब देंहटाएंमेरे इस ब्लॉग का उद्देश्य किसी प्रकार का विवाद करना या विवाद में पड़ना नहीं है . मैं सिर्फ उपयोगी , सार्थक, मुद्दों से जुडी जो जाति/धर्म /लिंग से परे हो , वही टिप्पणियां ही यहाँ प्रकाशित करना चाहती हूँ . इसलिए फिलहाल इसे सबकी टिप्पणियां जो प्रकाशित नहीं हो सकी हैं , के लिए इसे सामूहिक बनाना संभव नहीं होगा! आपके सुझाव के लिए बहुत आभार!
सभी शुभचिंतकों का आभार!
आपके विचार स्पष्ट और सुलझे हुए हैं। फिर भी बात सुनना श्रोता पर और टिप्पणी प्रकाशित करना ब्लॉगर पर ही निर्भर करता है। लेकिन सदाशयता और सुरुचिपूर्ण होते हुए भी अप्रकाशित रही टिप्पणियों को इस प्रकार ब्लॉग पर रखने का प्रयोग अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंइससे तो प्रभावित हुए बिना नहीं रहा जाता। मैं भी आपकी नकल करने की सोच रहा हूँ। लोग पढ़ें न पढ़ें..मेहनत से लिखा अपना कमेंट तो सलामत रहेगा। कितना दिमाग लगाना पड़ता है पढ़ने और उस पर कमेंट करने के लिए।
जवाब देंहटाएं..आभार।
बहुत ही नायाब कन्सेप्ट है यह!!
जवाब देंहटाएंमुझे तो बहुत अच्छा लगा।